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जीवन परिचय


Param Pujya Ashukavi Muni Shri 108 Uttamsagar Ji Maharaj Bhakt Sangh

Jeevan Parichay

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परम पूज्य आशुकवि मुनि श्री १०८ उत्तमसागर जी महाराज भक्त संघ

 

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परम पूज्य आशुकवि मुनि श्री १०८ उत्तमसागर जी महाराज भक्त संघ

 

मुनि श्री १०८ उत्तमसागर जी महाराज परम पूज्य बालब्रम्हचारी संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के १३ वें शिष्य हैं

मुनि श्री का जीवन परिचय

दीक्षा से पूर्व नाम : श्रीपाल गिरमल जैन
जन्म तिथि : 01-06-1960
जन्म स्थान : लाट, कोल्हापुर, महाराष्ट्र 
पिता का नाम : श्री बाळू गिरमल जैन
माता का नाम : श्री सौभाग्यवती हौसाबाई गिरमल जैन
लौकिक शिक्षा : दसवी [S.S.C]  तक
ग्रह त्याग : रविवार, दि. 24-08-1986 
संघ प्रवेश बुधवार, दि. 27-08-1986, अतिशय क्षेत्र पपौराजी
ड्रेस चेंज : गुरुवार, दि. 28-08-1986

दि. 09-10-1986  को एक साल के लिए नमक का त्याग 
दि. 08-11-1986  को ब्रम्हचारी अवस्था में प्रथम केशलोच एक घण्टे में अपने हाथ से

दीक्षा गुरु परम पूज्य बालब्रम्हचारी संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज
क्षुल्लक दीक्षा सिद्धक्षेत्र नैनागिरि के पंचकल्याणक में दि. 10-02-1987

दि. 12-02-1986  से आजीवन नमक और मीठा का त्याग
ऐलक दीक्षा नहीं
मुनि दीक्षा श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिरि में गुरुवार दि. 31-03-1988  को महावीर  जयंति के शुभ अवसर पर


 

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जैन धर्म


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अहिंसा

परमोधर्मः

 

 

 

 

जियो और जीने दो

 

 

 

 

जैनकहते हैं उन्हें,

जो जिनके अनुयायी हों।

जिनशब्द बना है जिधातु से।

जिमाने-जीतना।

जिनमाने जीतने वाला।

 

 

 

 

 

जैन धर्म का परम पवित्र

और अनादि मूलमंत्र है-

णमो अरिहंताणं,

णमो सिद्धाणं,

णमो आइरियाणं,

णमो उवज्झायाणं,

णमो लोए सव्वसाहूणं।

जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया,

और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं जिन

जैन धर्म अर्थात जिनभगवान का धर्म।


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सर्व शांति मंत्र


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भव सुख भी जब स्थिर नहीं, तब क्या स्थिर होय |

“यह भी जायेगा” यही, मंत्र पढ़ो सब कोय ||

“यह भी जायेगा”

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उत्तम तप

उत्तम त्याग


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